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अन रेजिस्टरड बीबी.....

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वह मेरे सपनों का शहजादा था. सच कहूँ तो मैंने उसे अपना शौहर मान लिया था, पर एक समस्या जबरदस्त थी कि मैं चाह कर भी उसे हासिल नही कर सकती थी. क्योकि वह हिन्दू था और मैं एक मुस्लिम लड़की थी. मैं एक रिच परिवार से विलोंग करती थी और वह एक मामूली सा हायर सेकेंडरी का अध्यापक था. उसने जब मेरे घर में एक किरायेदार की हैसियत से इंट्री की तो मैं उसे देखती रह गई. ‘वाव’ मेरे होठो से फूट पड़ा| एक बारगी मुझे लगा कि जिसकी मुझे तलाश थी वह तो यही है. मैंने सोच लिया था कि इसी से निकाह करूंगी पर एक पल में अर्श से फर्श पर आ गई, जब ये पता चला कि ये लड़का हिन्दू है. मैं निराश हो, उसे ख्यालो में सोचने लगी और अपनी किस्मत को कोसने लगी. मेरे आँखों के सामने उसका चौड़ा सीना... बड़ी-बड़ी आँखे... शेर की तरह मर्द की चाल... और उस पर उसका सीटी बजाते हुए घर में इंट्री करना... मैं उसे लेकर पागल होती जा रही थी. वह मुझ पर ध्यान नही दे रहा था, जबकि मोहल्ले के सारे लड़के मुझे देखते ही अपना होश खो बैठते थे. मेरी चूची और हिप मेरी सेक्सी होने का परमाण था. ये तो निश्चित है कि अधिकाँश लड़कों ने ख्यालों की खेती क

झर गई.....

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लुत्फ़ मिला इतना कि मैं तर गई| हाय हाय करते मैं उस पे मर गई| डूबी रही सोचकर  मैं  इस कदर उसमें, सांस थमी जब उसके नाम झर गई|

अलका भाभी को माँ बनाया...........

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आप लोग बोर हो रहे होंगे मेरी बातें सुन कर। चलिए मैं आपको अपनी कहानी की ओर ले चलता हूँ...।  यह घटना अब से ५ महीने पहले हुई जब हमारी कॉलोनी में एक भाभी रहने को आई थी। भाभी तो पूछो मत ! मादकता उनके बदन में कूट-कूट के भरी थी। चूची उनकी थी ३८डी , कमर ३२ और गांड तो क़यामत थी उनकी ४० साइज़ की। चलती तो क़यामत लगती थी। उनके आने के कुछ दिनों में उनकी दोस्ती हमारे परिवार से हो गई। भाभी बहुत चंचल स्वभाव की थी। उमर यही कोई ३० साल के आस पास थी। धीरे धीरे वो हमसे भी खूब बातें करने लगी थी क्यूंकि उनके कंप्यूटर को मैं ठीक कर देता था सो वो मुझसे काफी करीब थी। एक बार उनके कंप्यूटर में कुछ खराबी आ गई थी। सो वो मम्मी से बोली कि सतीश से कह के मेरा कंप्यूटर ठीक करवा दो। तो मैं दोपहर को उनके घर गया। वो बड़ी सेक्सी नाईट गाउन पहन के घर पर थी और वो मुझे अपने कंप्यूटर के पास ले गई। मैं उनके कंप्यूटर को ठीक करने लगा। उसको फॉर्मेट करना था। सो मैंने भाभी जी से कहा भाभी जी आपका कोई महत्वपूर्ण फाइल हो तो बैक-अप ले लो , सिस्टम फॉर्मेट करना पड़ेगा तो वो बोली- कुछ पर्सनल फाइल हैं तुम हटो तो मैं बैक-अप ले लूँ। मैं

मेरा प्रिय पति.......

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मेरी शादी हुए करीब दस साल हो गये थे। इन दस सालों में मैं अपने पति से ही तन का सुख प्राप्त करती थी। उन्हें अब डायबिटीज हो गई थी और काफ़ी बढ़ भी गई थी। इसी कारण से उन्हें एक बार हृदयघात भी हो चुका था। अब तो उनकी यह हालत हो गई थी कि उनके लण्ड की कसावट भी ढीली होने लगी थी। लण्ड का कड़कपन भी नहीं रहा था। उनका शिश्न में बहुत शिथिलता आ गई थी। वैसे भी जब वो मुझे चोदने की कोशिश करते थे तो उनकी सांस फ़ूल जाती थी , और धड़कन बढ़ जाती थी। अब धीरे धीरे रणवीर से मेरा शारीरिक सम्बन्ध भी समाप्त होने लगा था। पर अभी मैं तो अपनी भरपूर जवानी पर थी , 35 साल की हो रही थी। जब से मुझे यह महसूस होने लगा कि मेरे पति मुझे चोदने के लायक नहीं रहे तो मुझ पर एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव होने लगा। मेरी चुदाई की इच्छा बढ़ने लगी थी। रातों को मैं वासना से तड़पने लगी थी। रणवीर को यह पता था पर मजबूर था। मैं उनका लण्ड पकड़ कर खूब हिलाती थी और ढीले लण्ड पर मुठ भी मारती थी , पर उससे तो उनका वीर्य स्खलित हो जाया करता था पर मैं तो प्यासी रह जाती थी। मैं मन ही मन में बहुत उदास हो जाती थी। मुझे तो एक मजबूत , कठोर लौड़ा चाहिये था ! जो म